प्रलयावस्था में सब जीव कहाँ रहते हैं  ?

ऋग्वेद के इस मंत्र में आपका ही प्रश्न है और इसका उत्तर भी।
ओ३म् अमी ये देवा: स्थन त्रिष्वा रोचने दिव:।
कद् व ऋतं कदनृतं क्व प्रजा व आहुतिर्वित्तं मे अस्य रोदसी।।
जब सब लोकों की आहुति अर्थात् प्रलय होती है तब कार्य- कारण और जीव कहाँ रहते है? उत्तर  - सर्वव्यापी ईश्वर और आकाश में कारणरूप रूप से सब जगत् और अच्छी गाढ़ी निद्रा में सोते हुए के समान जीव रहते है। एक-एक सूर्य के प्रकाश और आकर्षण के विषय में जितने लोक है , उन सबको ईश्वर ने बनाया और धारण कर रहा है यह जानना चाहिए।
प्रलय का लम्बा काल ( ४ अरब ३२ करोड़ वर्ष  ) सब जीवों के लिए समान नहीं है। जैसे गाढ़ निद्रा में सोए हुए व्यक्ति को समय के परिमाण का भान नही रहता, उसी तरह बद्ध जीवों को भी सुषुप्ति - अवस्था में रहने से प्रलय का भान नही होता। प्रन्तु मुक्त जीवात्माएं ज्ञान सहित मोक्ष के आनन्द को भोगती है , और बद्ध जीव ज्ञान रहित गाढ़ निद्रा के आनन्द को भोगा करती है । जिस प्रकार क्रमश: जगत् उत्पन्न होता है उसी प्रकार क्रमश: प्रलय को प्राप्त होता है; ईश्वर सदा एकरस रहता है। 

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट